चारो तरफ सब झूम-झूमकर नाच रहे है. गा रहे है ‘मोदी आयो बहार लायो‘, तो सोचा थोड़ा हमहू नाच लें, गा लेंजी… अच्छा ही हुआ! ‘भानुमति का कुनबा फूटा,’ माता-पुत्र को भी आराम का मौक़ा मिला. आप तो बिलकुलनौजवान ताजा-ताजा! देश को तरोताजा करेंगे गुजरात के अमूल दूध-दही-मठा व हनी से. मक्खन-घी से जनताअब स्नान किया करेगी. पैरों से कुचलेगी घी को, जैसे गुजरात के एक मंदिर में पांच लाख लीटर घी को उड़ेलकरपैरों से मथ दिया था. पर ये अमूल वालों को आपने अपने खाते में क्यों डाल रखा है? इसे तो कांग्रेस वालों नेबनबाया था?
आपने कहा है, ‘हम भारत को विश्व का गुरू बनायेगे तो समझिए भारत गुरू बन गया. मंगलग्रह पर यान भेजा तोसमझिए भारत अंतरिक्ष का भी गुरू बन गया. परन्तु; एक बात हमरे मगज में समझ न आयो…अभी-अभी आपनेकहा, ‘काशी को राष्ट्रगुरू’ बनाएंगे…
मने, हम ता अबतक यही जानत रहल बा की “हमार राष्ट्रगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर साब जी है.” अब अगर भारत का‘राष्ट्रगुरु’ बनाना ही है तो कोलकाता को बनाओ ! ई काहे का ‘काशी-काशी’ ले देके रटत हाउ भैया मोदी जी? जोकुछ काशी वाशी से मिलना था सो मिल गया. अब काहे का फिर से काशी? ब्राह्मण ने शूद्रों को ठगने के लिए“लाल– पत्रा“ लिखा, औ तू चला अब ब्राह्मण को ठगने?
सौ चूहा खाके बिल्ली चली अब हज करने
मने, ‘कांग्रेस-मुक्त’ भारत का नारा लगाते लगाते सारे कांग्रेसियों को भाजपा में घुसा लियो है. को नहीं जानत हैइस जग में… कि, नई लोकसभा में भाजपा के सौ (१००) से भी ज्यादा सांसद ‘खांटी कांग्रेसी’ है. इन सांसदों में से हरतीसरा सांसद आपराधिक ह्त्या, बलात्कार, लूट, जैसे गंभीर मामलों में आरोपी है. चुनाव जीतकर आए 541सांसदों में से 186 के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक केस दर्ज है. असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म(एडीआर) रिपोर्ट के अनुसार; ऐसे सांसदों में 98 बीजेपी के, 8 कांग्रेस के, 35 एआईएडीएमके के, 18 शिवसेना केऔर 7 तृणमूल कांग्रेस के हैं. 8 सांसदों पर मर्डर के आरोप हैं, जिनमें 4 बीजेपी के हैं. करोड़पति सांसदों की संख्यामें अकेले बीजेपी के 237 सांसद हैं. तो क्या, इन्हीं अपराधियों के बूते भारत को विश्व गुरू बनाने निकले हो? क्याइन्ही के बूते देश में बहार लाओगे?
हमरा विचार मा ता ई हाउ की, रूठल श्री आडवाणी को अपना उप-प्रधान, हारल जेटली को अपना प्रधान सचिव, औ रूठी बहन सुषमा को प्रधान सलाहकार बनाय लो जी…बाँकी काम देखे खातिर ता अमितबाबू, तोगड़िया साहेब है ही. सबकुछ संभल जाई.
reecieved in email by Karl Marx [email protected]
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