चलो गुजरात, गुजरातियों की बात करें
नरसिंह भक्त की भक्ति ज़रा सी याद करें
अद्वैत आत्मा की, हाँ ब्रह्म की बात करें
नहीं मिलेगा नशा प्रेम का, चाय पीकर
ज़रा पिला दी ऐ साक़ी, गुजरात की पुरानी है
दया की, प्रेमानंद की, मीरा यहीं दीवानी है
सगुण भी है यहाँ, निर्गुण यहीं से निकला है
सुधारक युग यहाँ, सीखो गोवर्धन युग क्या है
वली गुजराती की क़ब्रो-मज़ार तोड़ कर के
नहीं मिला है कभी ज्ञान सर को फोड़ कर के
मेरा गुजरात युगों युगों की धरती है
सिन्धु घाटी की सभ्यता यहाँ है देखो
क़िस्सा-संजान से अनजान तुझे क्या मालूम?
हजारों साल से दुनिया का कारोबार देखो
यहाँ की धरती है सोना, फ़सल से बात करो
मुखौटा नक़ली है, यारों असल से बात करो
किसानो का दमन खूब किया लूट लिया
यहाँ की गंगा में वापी का ज़हर घोल दिया
मीठी गुजराती मुहब्बत की फ़िज़ा होती थी
मेरे गुजरात को हैवानियत ने तोड़ दिया
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