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मोदी को घेरने की तैयारी के लिए बौद्धिक तबके ने कसी कमर

कहा, धर्म की राजनीति करने वालों को दिया जाएगा मुँह तोड़ जवाब

– 04 मई को वाराणसी में महाअधिवेशन की तैयारी

वाराणसी, 10 अप्रैल, देश के बौद्धिक संगठनों और संस्कृतिकर्मियों ने वाराणसी में मोदी को घेरने के लिये कमर कस ली है। 04 मई को एक विशाल अधिवेशन के द्वारा साम्प्रदायिक ताकतों से देश को बचाने का संदेश देना चाहते हैं। राहुल सांस्कृत्यायन पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी व बैठक में देश के विभिन्न कोने से उपस्थित मशहूर शख्सियतों और संस्कृतिकर्मियों ने इस बाबत रणनीति पर विचार विमर्श किया। यूपी कॉलेज में आयोजित इस बैठक में साम्प्रदायिक ताकतों के विरूद्ध एकजुटता प्रदर्शित करते हुये देश और वाराणसी की संस्कृति को बचाने की अपील की गयी।

देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले वाराणसी शहर में देश के बौद्धिक तबके और संस्कृतिकर्मियों ने एक स्वर से धर्म की राजनीति से निबटने के लिये रणनीति बनायी। इस पूरे मुहिम की कमान प्रसिद्ध साहित्यकार काशीनाथ सिंहको सौंपी गयी। इस अवसर पर लखनऊ के प्रसिद्ध समालोचक वीरेन्द्र यादव ने कहा कि उ.प्र. के वाराणसी और लखनऊ शहर तहजीब, सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव में धर्म की रणनीति करने वालों को प्रश्रय देकर इतिहास को कलंकित नहीं करना है।

अन्तर्राष्ट्रीय महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने के लिये यदि जरूरी पड़े तो सिद्धान्तों से समझौता भी किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें धर्म की राजनीति करने वालों के साथ एक राजनैतिक विकल्प भी सुझाना होगा। इलाहाबाद से आये प्रो. सन्तोष भदौरिया ने कहा कि हमें अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बचाये रखने के लिये अल्पकालीन योजना पर कार्य करना होगा। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर  बलराज पाण्डेय ने कहा कि इस समय यदि बौद्धिक वर्ग तमाशमीन बन गया तो आने वाला समय कभी माफ नहीं करेगा।

नई दिल्ली से आये अली जावेद ने कहा क कि देश के लोकतंत्र को कमजोर करने वालों से सिर्फ बौद्धिक वर्ग ही मोर्चा ले सकता है। प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि वाराणसी में धर्म के ठेकेदारों को कड़ी टक्कर देकर देश की संस्कृति की रक्षा करने का यह समय है। इस अवसर पर प्रो. चौथीराम यादव, पत्रकार केके पाण्डेय, संध्या नवोदिता, समाजसेवी लेनिन रघुवंशी, डॉ. रामसुधार सिंह, डॉ. गोरखनाथ सहित प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच सहित कई संगठनों से जुड़े व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किये।  कार्यक्रम का संयोजक डॉ.  संजय श्रीवास्तव को बनाया गया है। वाराणसी में जल्दी ही रंगकर्मियों की टोलियाँ नुक्कड़ नाटकों द्वारा जनता को जागरूक करने का कार्य शुरू कर देंगी। बौद्धिक वर्ग की इस पहल ने प्रमुख राजनैतिक दलों के रणनीतिकारों को एक बार नये सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है, वहीं यह भी माना जा रहा है कि सभी बौद्धिक व सांस्कृतिक संगठन मोदी को रोकने के लिये उनके निकटतम प्रतिद्धन्दी को समर्थन दे सकते हैं। वाराणसी में 12 मई को मतदान होना  है और 17 अप्रैल से नामांकन की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो जायेगी।

जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

 

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