एक घाव एक  चुम्बन

एक  अहसास एक आलिंगन

एक स्मृति  एक चिंतन

एक अनुभूति एक मंथन

प्रेम की अगर यह परिभाषा है

हिंसा की  है इसमें  गंध

वह धीमी सी मुस्कान

तुम्हारे चेहरे पे बता रही है

नयनों  में  एक रुका हुआ  आंसू

आंसुओं  मैं तड़पती हैं आहें

आहों में मचलता है दिल,

दिल में उठता है एक  ज्वालामुखी

जलते हैं उसमें सपने

जलते हैं उसमें अरमान

प्रेम नहीं……..

हिंसा यह जान लो

 

by- कामायनी बाली महाबल 

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