Mera Sayaa
लोगों की , दोस्तों कि बात क्या
जब कभी साया भी साथ छोड़ देता है
एक अनूठी तरंग दिल मैं जगती है
हर परिस्थिति का सामना करने क़ी
ताकत और बढ़ जाती है
जब भी साया साथ छोड़ देता है
अपने साये को मैं अक्सर कहती हूँ
मेरे साथ रेह कर तू भी दूषित हो जाएगा
अपनी अलग एक जगह बना
कब तक मेरा साया रहेगा
मेरा साया , मुझ को हंसकर कहता है
तुझ् से बिछड़कर मैने यह ही है जाना
यह दुनिया कितनी है कातिलाना
तेरे साथ रह कर , कुछ तो रूह को छू जाता है
अब कैसे कहूँ अपने साये को
तू रहे या ना रहे
मेरा जीवन और मरण एक समान सा हैं
तू रहे या न रहे
मेरी मानव अधिकार कि लड़ाई तो अनंत है
कोई साथ चले न चले
मेरा सफ़र तो तय है
लड़ना है हमेशा।
@Kamayani bali Mahabal aka Kractivist
( An outcome of being alone in anti modi campaign, for some time )
December 29, 2015 at 3:28 pm
Its a beautiful statement of conviction; yes convictions leave us strong and content at the end. Self musing in poem is contagious. Really good.