-Bridge the Gap Bring the Change

Tag ANTI PEOPLE POLICIES

कथित राष्ट्रवादी मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियां

सांप्रदायिक–फासिस्ट विरोधी जनमंच बहुत सारे लोगों की ही तरह हमें भी इस नए अवतरित विकास पुरूष मोदी के बारे में थोड़ा बहुत भरम था कि कम से कम अगले दो-तीन साल तक देश विकास की नयी उचाईयों पर छलाँगें मारतारहेगा, और अगले सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में दोबारा जीत पक्की करने के लिए अगर जरूरी हुआ भी तो साम्प्रदायिक दंगा-फसाद मोदी सरकार के कार्यकाल के आखिरी दो वर्षों में ही करवायेजाएंगे. हालांकि, वैसे तो अब इसकी जरूरत ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि देश के उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारो कोने में मोदी का ‘भारत विजय पताका’ लहराया जा चुका है. मुलायम-मायावती,नीतीश-लालू, माकपा-भाकपा मुंह के बल चारो खाने चित्त पड़े हांफ रहे है.  ‘विकास के रथ’ पर सवार मोदी से परिचय हुए अभी मुश्किल से महीना भर भी नहीं बीता कि देश की जनता छाती पीटपीटकर हाय-तौबा मचाने लगी है.   क़ानून विशेषज्ञ वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली साहब का तर्क है कि अगर चीन की तरह बुलेट ट्रेन चाहते हो तो मंहगाई को बर्दाश्त करना सीखो. आपको हम याद दिलाता चलें कि ‘चीन में मुद्रा-स्फीतिकी दर न्यूनतम स्तर (३.4%) तक जो पिछले लगभग दस वर्षों से स्थिर बनी हुई है, के साथ आर्थिक विकास का बुलेट ट्रेन भी दौर रहा है. जबकि, कांग्रेस और भाजपा थोथी दलीलें पेश करते हुएआम जनता को गुमराह कर रही है कि मंहगाई के बिना विकास सम्भव ही नहीं है. सरकार की नीयत देश के बड़े-बड़े पूंजीपतियों की थैली से कालाधन बाहर निकालने की नहीं है. पूंजीपतियों-अमीरों पर कम से कम पचास फीसदी प्रत्यक्ष कर वसूलने का सपना पालने वाले पूर्व वित्तमंत्री साहब श्री प्रणव मुखर्जी जो पिछले कुछ अरसे से देश का महामहिम बने हुए है, उनके समय से लेकर श्रीअरूण जेटली साब तक उलटे पूंजीपतियों-उद्योगपतियों को हजारो करोड़ (अरबो रूपये) की टैक्स रियायतें/छूट देने के साथ साथ उन्हें सब्सिडी देना जारी रखा है. अम्बानी रथ का सारथी बने  मोदी(जिनके संसदीय समूह में ११२ पूर्व कांग्रेसी सांसदों का जमावड़ा है), सरकार ने जनता को राहत पहुचाने के बजाय उलटे जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है.   मोदी की गंगा–सफाई परियोजना शपथ-ग्रहण समारोह के तुरंत बाद ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऐलान किया कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है बनारस में गंगा की सफाई करना. चलो बहुत अच्छी बात है. गंगा का पानीनिर्मल हो, स्वच्छ हो, इससे भला किसको ऐतराज हो सकता है? परन्तु; केदारनाथ से लेकर, हरिद्वार, इलाहाबाद, बनारस और उधर मुंगेर-भागलपुर-कहलगांव से कोलकाता तक विभिन्न शहरों केसारे मलमूत्र, कारखाने की गंदगी सीवर लाईन से कहाँ फेंकोगे जरा ये भी तो बताओ! उमा मैय्या ने कहा अब गंगा मैय्या में थूकना मना है. चलो ये भी ठीक है. परन्तु; गंगा में स्नान करते समय बच्चोंऔर कभी-कभी बड़ों को भी सू-सू आ जाए तब क्या होगा, जरा ये भी तो बता! शुद्धिकरण, स्वर्ग, मोक्ष प्राप्ति के लिए गंगा में मुर्दा जलाने और विसर्जित करने, मूर्तियों, पूजा-पाठ की सामग्रियों कोगंगा में प्रवाहित करने पर अगर रोक नहीं लगी तो क्या होगा फायदा गंगा सफाई परियोजना का?   तो यही है मोदी का गुजरात मॉडल   प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर बैठे चार दिन भी नहीं हुए थे कि मोदी ने ऐलान किया “रक्षा क्षेत्र (जो देश का अत्यंत महत्वपूर्ण किन्तु; गोपनीय तथा अति-संवेदनशील क्षेत्र है) में १००% एफडीआई कोआमंत्रित किया जाएगा. इसके बाद रेलवे, टेलीकॉम, मीडिया, खुदरा व्यापार, कृषि क्षत्रों में एफडीआई के लिए दरवाजा, खिड़की सब खोल दिया गया. इसे देखकर ऐसा मालूम होता प्रतीत हो रहाहै जैसे मानो मोदी सरकार भारत की सरकार नहीं बल्कि अंतर-राष्ट्रीय सरकार बना ली है. आखिर क्या है मोदी सरकार का एफडीआई के प्रति प्रेमशास्त्र इसे हमारे जैसा बेहद मामूली अदना साव्यक्ति, ‘मोदी के ‘हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, एफडीआई, और’ मंहगाई बढ़ाने की जिद’ के अंतर-संबंधों की स्पष्ट व्याख्या करने में असमर्थ महसूस कर रहा है. बार-बार हमारे जेहन में एक ही सवाल कौंध रहाहै कि ‘मोदी की मंहगाई के प्रभाव से भारतीय चाय बिक्रेता को कितना फायदा पहुँचने वाला है?   सड़कों पे लड़ाई शुरू हो चुकी है   जनता ने मंहगाई के खिलाफ सड़कों पे बिगुल फूंक दिया है. अगर मोदी सरकार कमरतोड़ मंहगाई बढ़ाने के साथ ही रेलवे, टेलीफोन, समेत अन्य क्षेत्रों का निजीकरण करने के प्रति दृढ-संकल्परत हैतो देश का लाखों-करोड़ों मेहनतकश अवाम भी अगले पांच साल तक बैठकर चुपचाप तमाशा देखने को तैयार नहीं है. मोदी सरकार के खिलाफ देश की बहादुर जनता सड़कों पर लोहा लेने के लिएतैयार है. जाहिर है, इस बार की लड़ाई ‘आपातकाल के खिलाफ’ लड़ी गयी लड़ाईयों से कई गुना ज्यादा व्यापक और तीखा होने जा रहा है…क्योंकि, इस बार युरेशियन सड़ांध ब्राह्मणवादी”सांप्रदायिक-फासिस्ट” ताकतों के खिलाफ चौतरफा “विचार-धारात्मक-राजनीतिक व शारीरिक” हर स्तर पर जंग होगी जो अब निर्णायक रूप से देश की राजनैतिक दिशा को बदल कर रख देगा.   हमारी मांगे: १. सबको निःशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य की फ़ौरन गारंटी दो! २. महिलाओं को सभी क्षेत्रों में पचास प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराओ! ३. न्यूनतम मजदूरी २५००० रूपये प्रति माह करने के साथ ठेका–प्रथा समाप्त करो! ४. बड़े पूंजीपतियों, साहूकारों के ऊपर कम से कम पचास प्रतिशत प्रत्यक्ष कर लगाओ! ५. देश–विदेश में जमा कालाधन जब्त करो!  

© 2024 Kractivism — Powered by WordPress

Theme by Anders NorenUp ↑